शुक्रवार, 4 जुलाई 2014

आज के दोहे.

आज के दोहे.

नई  सदी  से  मिल  रही,  दर्द  भरी  सौगात   
बेटा   कहता   बाप  से , तेरी   क्या  औकात !!

अब  तो अपना  खून भी, करने लगा कमाल    
बोझ समझ माँ बाप को, घर से रहा निकाल !!

 पानी आँख में  न रहा, शरम  बची  ना लाज     
कहे   बहू  अब  सास  से, घर  में  मेरा  राज !!

भाई   भी  करता   नही, भाई  पर  विस्वास   
 बहन  पराई   हो   गई,  साली  खासमखास !!

मंदिर  में  पूजा  करें,  घर   में   करे  कलेश   
 बापू  तो   बोझा  लगे, पत्थर   लगे   गणेश !!

बचे  कहाँ   वो  लोग  है, बचा  कहाँ  ईमान   
 पत्थर के  भगवान्  हैं, पत्थर  दिल  इंसान !!

फैला   है  पाखंड  का, अन्धकार  सब  ओर  
 पापी  करते  जागरण, मचा  मचाकर  शोर !!

रचना whatsApp से

26 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. waah sach ukera hai aapne , bahut acche lage dohe . badhai aapko aapki rachnaye man me sada josh bharti hai

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    2. ये दोहे हरियाणा के प्रसिद्ध दोहाकार श्री रघुविंद्र यादव जी के हैं। जो 2011 में उनकी पुस्तक "नागफनी के फूल" में प्रकाशित हो चुके हैं।

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  2. रचना पोस्ट करने के पहले ही आपका कमेंट्स आ गया ....!

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  3. बचे कहाँ वो लोग है, बचा कहाँ ईमान
    पत्थर के भगवान् हैं, पत्थर दिल इंसान !!
    satya v sundar abhivyakti /prastuti .badhai

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  4. आज के दौर में सार्थक सटीक है सभी दोहे !

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  5. बहुत बढ़िया दोहे....

    सादर
    अनु

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  6. अभी भी अच्छे लोग हैं तभी तो दुनिया टिकी है

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  7. मंदिर में पूजा करें, घर में करे कलेश
    बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश !!
    बहुत बढ़िया सब दोहे
    सादर

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  8. सचाई से जुड़े सब दोहे .. हकीकत को उतारा है आपने ...

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  9. La- jawab panktiyan... Aaj ke samaj aur uski sonch ka sach darshati aaina hai ye. Badhayi.

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट खामोश भावनाओं की ऊपज पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है। शुभ रात्रि।

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  11. Kalyugi Sach Batane wali post hai.
    Thanks & Welcome to my Blog.

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  12. ये दोहे हरियाणा के प्रसिद्ध दोहाकार श्री रघुविन्द्र यादव जी के हैं जो उनके दोहा संग्रह नागफनी के फूल में 2011 में प्रकाशित हो चुके हैं । एक जिम्मेदार शहरी होने के नाते या तो आपको उनका नाम लिखना चाहिए या "नागफनी के फूल से साभार" लिखना चाहिए ।

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  13. ये दोहे हरियाणा के प्रसिद्ध दोहाकार श्री रघुविंद्र यादव जी के हैं। जो 2011 में उनकी पुस्तक "नागफनी के फूल" में प्रकाशित हो चुके हैं।
    आप को एक सभ्य नागरिक की तरह इनके नीचे उनका नाम देना चाहिए। वैसे भी कॉपीराइट एक्ट के तहत बिना नाम लगाए किसी की रचना प्रकाशित करना अपराध है।

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  14. ये दोहे हरियाणा के प्रसिद्ध दोहाकार श्री रघुविंद्र यादव जी के हैं। जो 2011 में उनकी पुस्तक "नागफनी के फूल" में प्रकाशित हो चुके हैं।

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  15. उक्त रचना व्हाटऐप्स से पढ़ने को मिली उसमे रचनाकार का नाम नही था। मुझे अच्छी लगी ,और मैंने ब्लॉग में शेयर किया।और मैंने रचना के नीचे लिखा है।व्हाट्सएप्प से,रचनाकार का नांम मालुम हो गया है शीघ्र सुधार कर दूगां ।

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आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,