रविवार, 3 नवंबर 2013

दीप जलायें .

 दीप जलायें
खेतों में  दीप जलाये  कृषकों  ने  नई फसल के !
  दरिद्रता का घना अन्धेरा मिटा इसी के बल से !! 

चारो ओर धरा है जगमग ,आज सुहानी लगती !
 खुशहाली  के गीत गूँजते, नई आशाऐ  जगती !! 

हरवाहे  किसान महिलाएं, श्रम की माल पिरोती !
 दीपपर्व पर  कर न्योछावर,आज खुशी  के मोती !!

लक्ष्मी-सुत, लक्ष्मी का  वंदन  दीपावली  में  करता !
  जला  जला  माटी  के  दीपक, आज अन्धेरा  हरता !! 

घर आनाज तो सदा दिवाली,संभव किसान है करता !
 लक्ष्मी-सुत  इसलिए  वही  है,खेतों में  स्वर्ण बरसता !!
 
धान,ज्वार,बाजरा,उड़द, मक्का की जब फासले आती !
 करे  किसान  फसल का  स्वागत, वे उसके गुण गाती !!

जितना उजला प्रकाश पूनम का उतनी काल निशा  है !
अंतर मिटा आज  ही  केवल ,यद्दपि विपरीत  दिशा है !!

श्रम  के दीप जलाकर लेकिन किसान प्रकाश है लाता !
 उसकी मेहनत प्रबल साधना से ही सारा जग है खाता !!

27 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ-समीर लाल ’समीर’

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रकाशोत्सव के महापर्व दीपादली की हार्दिक शुभकानाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर रचना ... दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर रचना !
    दीपावली की शुभकामनाएँ !

    जवाब देंहटाएं
  6. किसान तो अन्नदाता है -बहुत सुन्दर रचना |
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  7. खेतों में दीप जलाये कृषकों ने नई फसल के !
    दरिद्रता का घना अन्धेरा मिटा इसी के बल से !

    सुन्दर मनोहर।

    जवाब देंहटाएं
  8. शुभप्रभात
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    दीपावली की शुभकामनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार आदरणीय -
    दीप पर्व की ढेरों शुभकामनायें-

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहतरीन रचना। गांव, खेत और खलिहान का सुन्दर चित्रण।
    दीपोत्सव की शुभकामनाएं .

    जवाब देंहटाएं
  11. माटी और किसान को समर्पित दिवाली है .... बहुत बहुत शुभकामनायें ...

    जवाब देंहटाएं
  12. सुंदर रचना. हार्दिक शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  13. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  14. Ek Achhi Padya Rachna Ka Jikra Aapke Dwara. Is Tarah Ki Rachnayen Badi Hi Rochak Hoti Hai. Padhe Low Poems Aur प्यार की कहानियाँ

    Thank You For Sharing.

    जवाब देंहटाएं
  15. श्रम के दीप जलाकर लेकिन किसान प्रकाश है लाता !
    उसकी मेहनत प्रबल साधना से ही सारा जग है खाता !!
    सुंदर रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  16. वाह ... अनुपम भावों का संगम ....
    दीपोत्‍सव की अनंत शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  17. श्रम के दीप जलाकर लेकिन किसान प्रकाश है लाता !
    उसकी मेहनत प्रबल साधना से ही सारा जग है खाता !!

    बहुत सही
    आखिर किसान ही हैं जिनकी वजह से हमारे घर में खुशियां हैं
    सादर मंगलकामनाएँ !!

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,