रविवार, 13 अक्तूबर 2013

एक जबाब माँगा था.

एक जबाब माँगा था 
 
मैंने  तुमसे  कब, प्यार  का  हिसाब  माँगा  था ,
सारे  सवालों  का, सिर्फ  एक  जबाब  माँगा था i

जिन्दगी  की  एक तमन्ना  तो  पूरी  की  होती ,
दीदार  माँगा  था ,  कब  ये  नकाब   माँगा  था i

अपने  हुजूर  में, कुछ कहने  की इजाजत  दे दो ,
मैने  कब  तुमसे, शायरी का  खिताब  माँगा था i

अपने घने  आँचल के  साये में  रहने दो मुझको ,
तुम्हारे रेशमी  एहसास का  माहताब  माँगा था i

आँखों  से  वयां  कुछ , होठों पर  अनकहा  कुछ ,
सिर्फ जिन्दगी की  एक खुली किताब माँगा था i 

क्या भला  एक कतरे से  कभी प्यास  बुझती है ,
धीर  ने  तो  बस  तुमसे  पूरा  शबाब  माँगा था i

51 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर रचना...विजयदशमी की शुभकामनाएँ !!

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  2. बहुत सुंदर .......विजयदशमी की शुभकामनाएँ !!

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  3. बहुत सुंदर रचना.
    विजयदशमी की शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (14-10-2013) विजयादशमी गुज़ारिश : चर्चामंच 1398 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. वाह...
    बेहतरीन ग़ज़ल....
    उम्दा शेर!!
    सादर
    अनु

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  6. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (14.10.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की गयी है ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .

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  7. वाह ! पुरज़ोर ख्वाइश की हसरतें .......

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  8. .मैंने तुमसे कब, प्यार का हिसाब माँगा था ,
    सारे सवालों का, सिर्फ एक जबाब माँगा था i

    ख्वाहिशें कब पूरी हुईं?
    वाह!
    बहुत खुबसूरत ग़ज़ल

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  9. बहुत खूब ,ख़ास कर ये शेयर ,,,,,
    अपने हुजूर में, कुछ कहने की इजाजत दे दो ,
    मैने कब तुमसे, शायरी का खिताब माँगा था i

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  10. अतिसुन्दर ,प्यार का अंकगणित अत्यंत जटिल है

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  11. बहुत बढ़िया.. हार्दिक शुभकामनाएँ..

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  12. बहुत सुंदर.. विजयादशमी की शुभकामनाएँ .

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  13. बहुत ही लाजवाब, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  14. न न करते सब मांग लिया.. बेहतरीन...बहुत खूब...

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  15. अपने हुजूर में, कुछ कहने की इजाजत दे दो ,
    मैने कब तुमसे, शायरी का खिताब माँगा था i

    बहुत खूब धीर साहब !सुभान!अल्लाह !

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  16. वाह धीर जी, आपने जो न मांगा वह तो मिल गया । बहुत प्यारी गज़ल।

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  17. अपने हुजूर में, कुछ कहने की इजाजत दे दो ,
    मैने कब तुमसे, शायरी का खिताब माँगा था ..

    बहुत खूब ..शायरी न चाहते हुए भी शायरी ... लाजवाब शेर है ...

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  18. सुंदर गज़ल के लिये बधाइयाँ कबूल कीजिये..............

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  19. मैंने तुमसे कब, प्यार का हिसाब माँगा था ,
    सारे सवालों का, सिर्फ एक जबाब माँगा था ।


    क्या कहने !

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  20. बहुत मिस किया आपकी ग़ज़लों को धीरेन्द्र भाई!! परिस्थितियों ने दूरी बना दी है!!

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  21. अपने घने आँचल के साये में रहने दो मुझको ,
    तुम्हारे रेशमी एहसास का माहताब माँगा था i

    प्रेम का कोमल अहसास
    बहुत सुंदर गजल
    सादर

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  22. अपने हुजूर में, कुछ कहने की इजाजत दे दो ,
    मैने कब तुमसे, शायरी का खिताब माँगा था i
    वाह क्या बात है
    मेरे ब्लॉग पर आप सभी का स्वागत है
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

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  23. बेहतरीन ग़ज़ल

    आँखों से वयां कुछ , होठों पर अनकहा कुछ ,
    सिर्फ जिन्दगी की एक खुली किताब माँगा था i

    जवाब देंहटाएं
  24. अपने हुजूर में, कुछ कहने की इजाजत दे दो ,
    मैने कब तुमसे, शायरी का खिताब माँगा था
    वाह ! बहुत खूबसूरत , लाजवाब !

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