गुरुवार, 12 सितंबर 2013

बिखरे स्वर.


टू टे  प र |
बिखरे  स्वर |
              नीड  जला,
              घर - बेघर |

नभ कितना ?
आँखों  भर  |
              तेरी  छवि ,
              जा दू ग र  |

एक गजल ,
तेरे   पर  |
              तू  है  तो ,
              कैसा डर  ?

 बहन विदा ,
आँखे  तर |
              हँसी जिये ,
              रो  रोकर |

बलिदानी ,
सदा अमर |
            अपना तो,
            बस ईश्वर |

मंजिल पर ,
सिर्फ नजर |
             बात बहुत ,
             तंग  बहर |


रचनाकार  -  कमल किशोर "भावुक"

50 टिप्‍पणियां:

  1. हँसी जिये ,
    रो रोकर |......सुन्दर भाव .....

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  2. कमाल किया है कमल किशोर जी ने। तंग बहर में वाकई.. बात बहुत कह दी।

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  3. वाह कमाल कर दिया, बहुत खूब

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (13-09-2013) महामंत्र क्रमांक तीन - इसे 'माइक्रो कविता' के नाम से जानाः चर्चा मंच 1368 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. बहुत बढ़िया शब्द संयोजन और रचना |
    आशा

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  6. बहुत ही अलग और सशक्त रचना.

    रामराम.

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  7. नये अंदाज
    नये कलेवर
    पुलकित मन
    बदले तेवर
    ********
    रात्रि का प्रथम प्रहर
    उठो प्रिये का स्वर
    मदमाती आँखें
    नशवर जीवन
    यह कैसा स्वर
    ***********
    बहुत ख़ूब सर


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  8. बहुत खूब..गागर में है सागर !

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  9. कितनी छोटी बहर में कितनी खूबसूरती से ग़ज़ल कही है आपने ……जैसे गागर में सागर |

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  10. बलिदानी ,
    सदा अमर |
    अपना तो,
    बस ईश्वर |
    मंजिल पर ,
    सिर्फ नजर |
    बात बहुत ,
    तंग बहर |
    ati sundar rachna

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  11. तंग बहर ,बहुत कुछ पर ,वाह वाह गागर में सागर ,बहुत बधाई कमल किशोर भावुक जी को

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  12. कमाल की प्रस्तुति...
    बहुत ही बेहतरीन...
    :-)

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  13. रात्रि का प्रथम प्रहर
    उठो प्रिये का स्वर
    मदमाती आँखें
    नशवर जीवन
    यह कैसा स्वर
    ***********
    बहुत ख़ूब...बहुत ही बढ़िया

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  14. बहुत ही सुन्दर बेहतरीन प्रस्तुती,धन्यबाद।

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  15. सुन्दर रचना आभार पढवाने का ,
    बधाई कमल किशोर जी को इस सुन्दर रचना के लिए !

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  16. बहुत खूब ... छोटी बहर में लोइखी गई सुन्दर गज़ल ... भाव लिए ...

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  17. अलग अंदाज में बढ़िया रचना |

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  18. तेरी छवि ,
    जा दू ग र |
    एक गजल ,
    तेरे पर ।
    तू है तो ,
    कैसा डर ?
    सुंदर रचना सर |

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  19. टू टे प र |
    बिखरे स्वर |
    नीड जला,
    घर - बेघर |
    लघुत्तम बहर सुन्दर भाव और अर्थ।

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  20. बात बहुत,
    तंग बहर।

    क्या अंदाज़ है !

    तंग बहर,
    बात जबर !

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  21. .शब्दों की अनवरत खुबसूरत अभिवयक्ति....

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  22. नभ कितना ?
    आँखों भर .. वाह बहुत उम्दा , सुन्दर प्रस्तुति ..

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  23. बेहद, बेहद सुंदर
    बात बडी
    छोटी बहर।

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