शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

फूल बिछा न सको

"सवैया छंद"
फूल बिछा न सको  

 पथ में यदि फूल बिछा न सको,तुम कंटक जाल बिछाव नही |
यदि नेह  नहीं दिखला  सकते , कटु बैन  सुना  दुतराव  नही |
 तुम राह सही  बतला  न सको, भटके  मन को  भटकाव नही | 
मृदुहास  न बाँट सको  यदि तो , हँसते मन को  भरमाव नही |

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 मिलता  सबको नहि  जीवन ये,हर आस-प्रदीप  कहाँ  जलता |
 कब जीवन  की  हर चाह  फली, हर प्रेम - प्रसून कहाँ खिलता |
  मन माफिक  प्रीत कहाँ मिलती,मन का  हर घाव कहाँ भरता | 
  प्रिय ! हो न निराश कभी जग में,मन चैन सदैव कहाँ मिलता | 

49 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया सवैया और सुन्दर अभिव्यक्ति |
    आशा

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  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति सर

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  3. बहुत सुन्दर भाव लिए प्रस्तुति सुन्दर कामना अद्भुत नहीं संग्रहनीय

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  4. बढ़िया प्रस्तुतीकरण-

    आभार -

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  5. खूबसूरत अभिव्यक्ति, सादर

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  6. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...

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  7. मृदुहास न बाँट सको यदि तो , हँसते मन को भरमाव नही ।
    -------------------------------
    अच्छे विचार, सुंदर छंद।

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  8. बहुत बढ़िया है आदरणीय-
    आभार आपका-

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  9. मिलता सबको नहीं जीवन ये,हर आस-प्रदीप कहाँ

    जलता |


    कब जीवन की हर चाह फली, हर प्रेम - प्रसून कहाँ

    खिलता |


    मन माफिक प्रीत कहाँ मिलती,मन का हर घाव

    कहाँ भरता |



    प्रिय ! हो न निराश कभी जग में,मन चैन सदैव

    कहाँ मिलता |
    बहुत सुन्दर सार्थक पद -नर हो न निराश करो मनको ,कुछ काम करो ,कुछ काम करो ,

    जग में रहकर कुछ नाम करो।

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  10. बहुत सुन्दर विचार ,बढ़िया अभिव्यक्ति
    latest post नसीयत

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  11. बहुत सुन्दर भाव लिए अद्भुत नहीं संग्रहनीय प्रस्तुति,,,,

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  12. बहुत सुंदर काव्य और जीवन दर्शन भी ।

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  13. प्रेरक और उत्साहवर्धक पंक्तियां।

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  14. बहुत सुन्दर भाव लिए प्रस्तुति सुन्दर कामना अद्भुत नहीं संग्रहनीय

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  15. बहुत खूबसूरत भाव जीवन के सच के साथ...

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  16. सुंदर काव्य जीवन के सच के साथ...

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  17. सुंदर सन्देश देती पंक्तियाँ |

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  18. मन माफिक प्रीत कहाँ मिलती,मन का हर घाव कहाँ भरता |
    प्रिय ! हो न निराश कभी जग में,मन चैन सदैव कहाँ मिलता ..

    सच कहा अहि ये जीवन धूप छाँव है ... सभी कुछ सभी को नहीं मिलता ... संतोष ही जीवन है ...

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  19. प्रिय ! हो न निराश कभी जग में....सुंदर रचना

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  20. "आशा से आकाश थमा है कभी निराशा हो न मन में " प्रशंसनीय प्रस्तुति ।

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  21. आशा जगाती सुंदर पंक्तियाँ !

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  22. कब जीवन की हर चाह फली, हर प्रेम - प्रसून कहाँ खिलता |
    ......बहुत खूबसूरत मनभाती रचना

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  23. "प्रिय ! हो न निराश कभी जग में,मन चैन सदैव कहाँ मिलता" .....सत्य है | सुंदर प्रस्तुति |

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  24. बहुत सुन्दर भाव. सुंदर सन्देश देती पंक्तियाँ |.....

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  25. बहुत सुंदर पंक्तियाँ.
    http://yunhiikabhi.blogspot.com

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  26. वाह वाह !!! बहुत ही सुंदर रचना,,,,

    गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाए !

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  27. मन माफिक प्रीत कहाँ मिलती,मन का हर घाव कहाँ भरता |
    प्रिय ! हो न निराश कभी जग में,मन चैन सदैव कहाँ मिलता |

    ........... सुंदर पंक्तियाँ.....संग्रहनीय प्रस्तुति :)

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आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,