सोमवार, 6 मई 2013

नूतनता और उर्वरा,

नूतनता और उर्वरा,

 बेटी    बोली   पेड़   से , कैसे    हो   तुम   भाई , 
प्रभु  ने  हम  दोनों  की , किस्मत  एक  बनाई !

दुनिया  में  हम  दोनों  को , ज़िंदा  मारा  जाता ,
 मुझे  गर्भ  के भीतर ,तुमको बाहर  काटा जाता  !

बेटी  की  ये बात  सुन , पेड़ ने किया आत्मसात ,
मिल कर  के किया फैसला , समझाई जाऐ बात !

हमको मत काटो मारो,दिया
इंसानों को मश्वरा ,
हम  दोनों  है  पृथ्वी  की,"नूतनता" और "उर्वरा !


धीरेन्द्र सिंह भदौरिया,

52 टिप्‍पणियां:

  1. हम दोनों ही पृथ्वी की नूतनता और उर्वरा....... सुंदर संवेदनशील प्रस्तुति.....

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  2. वृक्ष और कन्या को बहुत सुन्दर उपमाएं प्रदान की नूतनता और उर्वरा वाह ,बहुत सार्थक प्रस्तुति|

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  3. हमको मत काटो मारो,दिया इंसानों को मश्वरा ,
    हम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता" और "उर्वरा
    सम्वेदनहीन क्यूँ बनें
    सादर

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  4. वाह वाह क्या बात है, बहुत सुन्दर और सारगर्भित .

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  5. संदेश देती एक सार्थक अभिव्यक्ति।

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  6. वाह....
    बहुत बढ़िया..
    सार्थक रचना.

    सादर
    अनु

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  7. पृथ्वी और कन्या ... या नारी ... सब एक ही तो हैं ...
    आदमी बस दोहन करता है ...

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  8. बहुत खूब | लाजवाब रचना | आभार

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  9. सुंदर बोध कराती कविता..

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (08-04-2013)
    के "http://charchamanch.blogspot.in/2013/04/1224.html"> पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
    सूचनार्थ...सादर!

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  11. हमको मत काटो मारो,दिया इंसानों को मश्वरा ,
    हम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता" और "उर्वरा !.........बहुत सुन्दर

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  12. बहुत ही मार्मिक और संवेदनशील रचना.

    रामराम.

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  13. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति,आभार.

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  14. लाजवाब और संवेदनशील रचना | आभार

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  15. दुनिया में हम दोनों को , ज़िंदा मारा जाता ,
    मुझे गर्भ के भीतर ,तुमको बाहर काटा जाता !

    बहुत बढ़िया ..आभार

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  16. मार्मिक रचना.. सोचने को विवश करती रचना!!

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  17. लाजवाब और संवेदनशील रचना

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  18. संवेदनशील रचना.. सार्थक प्रस्तुति,आभार

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  19. वाह भाई जी कितनी सहजता से गहरी बात कही है
    सुंदर रचना
    बधाई





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  20. जीवन को जब जीते जी मारने की रवायत बन जाए तो फिर समाज का पतन निश्चित है .....आपकी रचना में एक आशा की किरन भी है ......समाज अपनी भूल समय रहते सुधार ले यही दुआ है अब तो

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  21. बेहद सार्थक सशक्त अंदाज़ एक तरफ पर्यावरण चेतना और दूसरी तरफ सामाजिक चेतना का आवाहन सुबुद्ध बनने का .

    ॐ शान्ति .

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  22. सुन्दर प्रस्तुति . सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको

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  23. काश आपका यह मशवरा बहरे कानों और संवेदनहीन हो चुके आदमी के मानस पर कोई प्रभाव छोड़ सके ! बहुत ही अनमोल सन्देश देती एक सार्थक रचना !

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  24. प्रेरक और सटीक रचना । बेटी को अब अन्दर से कम और बाहर से ज्यादा खतरा है ।

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  25. सुन्दर प्रस्तुति , सुन्दर रचना, सार्थक प्रस्तुति

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  26. बहुत प्रेरणा से भरी रचना ..सादर

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  27. बहुत सार्थक और प्रेरक प्रस्तुति....

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  28. बहुत सुन्दर सशक्त अभिव्यक्ति....

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  29. प्यार मेरा---भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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  30. बहुत सही कहा है ...पर इंसान समझना ही नहीं चाहता

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  31. बहुत सही और सार्थक रचना
    सादर !

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  32. नूतनता और उर्वरा दोनों का संचयन आवश्यक है. सार्थक संदेश.

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  33. बहुत कम शब्दों में अत्यंत गहन बात कह दी आपने ..बहुत सुन्दर!

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  34. बेहद गहन एवं सशक्‍त भाव रचना के ...
    आभार

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