शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

अमन के लिए.




  अमन के लिए.

खुशी मिलती यहाँ एक पल के लिए,
 बचा के कर रख प्यारे कल के लिए !


रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
मत गँवाना कपट और छल के लिए !

 
माना प्यार का लब्ज़ है अधूरा सही ,
है यही  बीज लेकिन फसल के लिए !

 
  जन्म मानव का फिर से मिलेगा नहीं ,
  अर्पण करदे ये जीवन निर्बल के लिए !

 
क्या था लाया वहाँ से जो ले जाएगा ,
धीर सब कुछ लुटा दे अमन के लिए !

dheerendra,"dheer"

55 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!! बहुत बढ़िया | आनंदमय | आभार

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    जवाब देंहटाएं
  2. bahut sundar माना प्यार का लब्ज़ है अधूरा सही ,
    है यही बीज लेकिन फसल के लिए !

    जवाब देंहटाएं
  3. रेत की तरह फिसलता समय..सच कहा!
    बहुत अच्छे भाव.

    जवाब देंहटाएं
  4. जन्म मानव का फिर से मिलेगा नहीं ,
    अर्पण करदे ये जीवन निर्बल के लिए !

    क्या था लाया वहाँ से जो ले जाएगा ,
    धीर सब कुछ लुटा दे अमन के लिए !-बहुत बढ़िया प्रेरक रचना!

    जवाब देंहटाएं
  5. क्या था लाया वहाँ से जो ले जाएगा ,
    धीर सब कुछ लुटा दे अमन के लिए !... वाह!
    बेहतरीन पंक्तियाँ धीरेन्द्र जी!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज शनिवार (13-04-2013) के रंग बिरंगी खट्टी मीठी चर्चा-चर्चा मंच 1213
    (मयंक का कोना)
    पर भी होगी!
    बैशाखी और नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
    सूचनार्थ...सादर!

    जवाब देंहटाएं
  7. अशआर दिल को मेरे सुकूँ दे गये
    बधाई आपकी खूबसूरत गज़ल के लिए....

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुन्दर प्रेरक ग़ज़ल की प्रस्तुति,आभार आदरणीय.

    जवाब देंहटाएं
  9. क्या था लाया वहाँ से जो ले जाएगा ,
    धीर सब कुछ लुटा दे अमन के लिए !
    समाज को पैगाम देने की अच्छी कोशिश है , इसी तरह अमन का प्रयास जारी रखना।

    जवाब देंहटाएं
  10. खुशी मिलती यहाँ एक पल के लिए,
    बचा के कर रख प्यारे कल के लिए !
    भाव और अर्थ में कल्याण कारी अर्चना ,धीर साहब दूसरी पंक्ति यूं कर लें -

    बचा करके रख प्यारे कल के लिए या

    बचा के रख प्यारे कल के लिए .

    जवाब देंहटाएं
  11. रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
    मत गँवाना कपट और छल के लिए !
    सुन्दर...

    जवाब देंहटाएं
  12. रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
    मत गँवाना कपट और छल के लिए !
    बहुत ही सुन्दर पैगाम ....
    आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  13. रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
    मत गँवाना कपट और छल के लिए !
    बहुत ही सुन्दर पैगाम ....
    आभार !!

    जवाब देंहटाएं

  14. रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
    मत गँवाना कपट और छल के लिए !
    bahut sundar bhavnaon ko shabdon me piriya hai aapne .

    जवाब देंहटाएं
  15. नान को छूती भावपूर्ण प्रस्तुति |
    आशा

    जवाब देंहटाएं

  16. बहुत सुन्दर....बेहतरीन रचना
    पधारें "आँसुओं के मोती"

    जवाब देंहटाएं
  17. जन्म मानव का फिर से मिलेगा नहीं ,
    अर्पण करदे ये जीवन निर्बल के लिए !

    वाह!! वाह!!

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत सुन्दर....बेहतरीन रचना

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत सुन्दर....बेहतरीन रचना धीरेन्दर जी

    जवाब देंहटाएं
  20. रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
    मत गँवाना कपट और छल के लिए !

    बहुत सुन्दर...

    जवाब देंहटाएं
  21. धीर सब कुछ लुटा दे अमन के लिए.
    ------------
    बेहतरीन रचना

    जवाब देंहटाएं
  22. रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
    मत गँवाना कपट और छल के लिए !

    बहुत सुन्दर...

    जवाब देंहटाएं
  23. खुशी मिलती यहाँ एक पल के लिए,
    बचा के कर रख प्यारे कल के लिए !------------सही नसीहत

    रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
    मत गँवाना कपट और छल के लिए !----प्रेरणा दायक

    माना प्यार का लब्ज़ है अधूरा सही ,
    है यही बीज लेकिन फसल के लिए !-----बेशकीमती शेर

    जन्म मानव का फिर से मिलेगा नहीं ,
    अर्पण करदे ये जीवन निर्बल के लिए !-----शानदार भाव

    क्या था लाया वहाँ से जो ले जाएगा ,
    धीर सब कुछ लुटा दे अमन के लिए !----खाली हाथ ही जाना है यही जीवन की अंतिम सच्चाई है ---आदरणीय धीर जी ये प्रस्तुति मुझे बहुत ही ज्यादा पसंद आई दिली दाद कबूल कीजिये

    जवाब देंहटाएं
  24. जन्म मानव का फिर से मिलेगा नहीं ,
    अर्पण करदे ये जीवन निर्बल के लिए !

    काश सब ऐसा सोचे और ऐसा आचरण भी करे.
    सुंदर प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  25. माना प्यार का लब्ज़ है अधूरा सही ,
    है यही बीज लेकिन फसल के लिए ..

    प्यार तो अपने आप में ईश्वर है फिर अधूरा कैसे ... येही निर्माण है ...

    जवाब देंहटाएं
  26. जन्म मानव का फिर से मिलेगा नहीं ,
    अर्पण करदे ये जीवन निर्बल के लिए

    bahut hi prabhavshali panktiyan ......abhar

    जवाब देंहटाएं
  27. बहुत प्रेरक भावों से युक्त रचना...लब्ज की जगह शायद लफ़्ज होना चाहिए.

    जवाब देंहटाएं
  28. क्या था लाया वहाँ से जो ले जाएगा ,
    धीर सब कुछ लुटा दे अमन के लिए
    बहुत बढ़िया !

    जवाब देंहटाएं
  29. प्रेरणादायक पंक्तियाँ......बहुत सुन्दर ।

    जवाब देंहटाएं
  30. जन्म मानव का फिर से मिलेगा नहीं ,
    अर्पण करदे ये जीवन निर्बल के लिए !-----शानदार भाव

    जवाब देंहटाएं
  31. माना प्यार का लब्ज़ है अधूरा सही ,
    है यही बीज लेकिन फसल के लिए !
    वाह क्या बात है ...

    ब्लॉग पर मेरी मेरी पहली पोस्ट : : माँ
    (नया नया ब्लॉगर हूँ तो ...आपकी सहायता की महती आवश्यकता है .. अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।)

    जवाब देंहटाएं
  32. 'है यही बीज लेकिन फसल के लिए' ऐसी सकारात्मक सोच से भरी रचना के लिए बधाई

    जवाब देंहटाएं
  33. रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
    मत गँवाना कपट और छल के लिए !----सुन्दर ग़ज़ल...बधाई

    जवाब देंहटाएं
  34. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  35. माना प्यार का लब्ज़ है अधूरा सही ,
    है यही बीज लेकिन फसल के लिए !
    nice lines

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,