गुरुवार, 26 जुलाई 2012

इन्तजार,,,

इन्तजार,,,

शाम ढलने तक, मैंने इन्तजार किया,
वर्ष बदलने तक मैंने इन्तजार किया !

मेरे लफ्ज तुमसे, कुछ कहना चाहते थे,
तेरे गुनगुनाने तक मैंने इन्तजार किया !

बेवफाई बह रही थी, मेरे अश्क-ऐ-समंदर में,
फिर भी मयखाने तक मैंने इन्तजार किया !

करवटे बदलता रहा, रात भर आहों में,
नींद के आने तक मैंने इन्तजार किया !

नम हो गया था, तकिया दोनों तरफ से,
सूरज के निकलने तक मैंने इन्तजार किया !

दिन निकला नही, पर साल बदल गया,
तेरे जाग जाने तक मैंने इन्तजार किया !

साल बदलने से, तेरी बेवफाई नही बदली,
तेरी नजरें बदलने तक मैंने प्यार किया !

dheerendra bhadauriya,

53 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत प्यारी गज़ल धीरेन्द्र जी.
    सुन्दर एहसास...

    सादर
    अनु

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  2. साल बदलने से, तेरी बेवफाई नही बदली,
    तेरी नजरें बदलने तक मैंने प्यार किया !

    बहुत सुन्दर गज़ल धीरेन्द्र जी.

    जवाब देंहटाएं
  3. साल बदलने से, तेरी बेवफाई नही बदली,
    तेरी नजरें बदलने तक मैंने प्यार किया !

    अच्छी प्रस्तुति !!

    जवाब देंहटाएं
  4. दिन निकला नही, पर साल बदल गया,
    तेरे जाग जाने तक मैंने इन्तजार किया !

    साल बदलने से, तेरी बेवफाई नही बदली,
    तेरी नजरें बदलने तक मैंने प्यार किया !

    धीरेन्द्र जी ये इंतजारी और बे -करारी बढ़िया है बहुत अच्छी प्रस्तुति है .बस ज़रा अनुनासिक का ध्यान रखें -"नही "को भाई साहब सब जगह "नहीं "कर लें.बड़ी मेहरबानी आपकी होगी. कर्मे इनायत भी हुज़ूर .

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  5. करवटे बदलता रहा, रात भर आहों में,
    नींद के आने तक मैंने इन्तजार किया !

    बहुत बढ़िया ..

    जवाब देंहटाएं
  6. "साल बदलने से, तेरी बेवफाई नही बदली,
    तेरी नजरें बदलने तक मैंने प्यार किया !

    बहुत सुन्दर रचना, बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  7. मेरे लफ्ज तुमसे, कुछ कहना चाहते थे,
    तेरे गुनगुनाने तक मैंने इन्तजार किया !... इन्तहां हो गई इंतज़ार की

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीय धीरेन्द्र जी बहुत ही उम्दा ग़ज़ल, बहुत-२ बधाई

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  9. साल बदलने से, तेरी बेवफाई नही बदली,
    तेरी नजरें बदलने तक मैंने प्यार किया !
    आदरणीय धीरेन्द्र जी प्यारी गजल ..सच्चा प्यार होता ही है ऐसा ..सब कुछ जान जाने के बाद भी ...लुटने लुटाने के बाद भी प्रेम बरसता रहता है ..जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  10. सुंदर गजल ....बहुत बढ़िया !

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  11. जो प्यार नजरें बदलने के बाद भी बच जाये वह नजरों को पुनः बदल सकता है..सुंदर रचना !

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  12. मेरे लफ्ज तुमसे, कुछ कहना चाहते थे,
    तेरे गुनगुनाने तक मैंने इन्तजार किया...
    बहुत बढ़िया धीरेन्द्र जी.

    जवाब देंहटाएं
  13. साल बदलने से, तेरी बेवफाई नही बदली,
    तेरी नजरें बदलने तक मैंने प्यार किया !

    बहुत सुन्दर उम्दा ग़ज़ल......... धीरेन्द्र जी

    जवाब देंहटाएं
  14. waah bahut hi sundar gajal rahi intjaar bahut khoob likha blog par vapsi aur uttam rachnaye padhne me aanand aa gaya .

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  15. साल बदलने से, तेरी बेवफाई नही बदली,
    तेरी नजरें बदलने तक मैंने प्यार किया !

    बहुत खूब !

    इंतजार कर रहे थे तब से अब तक
    बेवफाई देखते ही बदल गये
    इंतजार किया किया कहते कहते
    फिर प्यार किया की करवट कर गये !

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  16. बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट।

    जवाब देंहटाएं
  17. दिन निकला नही, पर साल बदल गया,
    तेरे जाग जाने तक मैंने इन्तजार किया !

    बहुत खूब ...
    सुंदर ..

    जवाब देंहटाएं
  18. साल बदलने से, तेरी बेवफाई नही बदली,
    तेरी नजरें बदलने तक मैंने प्यार किया !

    kash vo is intzar ko izhaar me badal dete.
    sundar prastuti.

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  19. तमाम उम्र तेरा इंतज़ार हमने किया.
    इस इंतज़ार में, उम्र को तमाम हमने किया .... इंतज़ार की बेकरारी को शिद्दत से प्रस्तुत करती रचना.... बहुत खूब!

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  20. दिन निकला नही, पर साल बदल गया,
    तेरे जाग जाने तक मैंने इन्तजार किया !
    मोहब्बत के नाम यह खूबसूरत नज्म पसन्द आयी। ग़ालिब का यह शेर खुद-ब-खुद लबों पर आ गया;
    "हम तेरा इन्तेजार करेंगे क़यामत तक
    खुदा करे ..........!"
    आभार !

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  21. नम हो गया था, तकिया दोनों तरफ से,
    सूरज के निकलने तक मैंने इन्तजार किया !

    ....बहुत खूब! बेहतरीन प्रस्तुति...

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  22. कवी महाशय ,आप तो उर्दू नज़म भी बहुत बेहतरीन लिखते हैं.सभी की पसंद से मिलती जुलती यही लाइने मुझे भी बहुत पसंद आई.
    साल बदलने से, तेरी बेवफाई नही बदली,
    तेरी नजरें बदलने तक मैंने प्यार किया !



    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

    जवाब देंहटाएं
  23. शाम ढलने तक, मैंने इन्तजार किया,
    वर्ष बदलने तक मैंने इन्तजार किया !

    मेरे लफ्ज तुमसे, कुछ कहना चाहते थे,
    तेरे गुनगुनाने तक मैंने इन्तजार किया !

    सुंदर गज़ल. बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  24. साल बदलने से, तेरी बेवफाई नही बदली,
    तेरी नजरें बदलने तक मैंने प्यार किया !

    वाह, बहुत खूब।

    जवाब देंहटाएं
  25. कमाल लिखते हैं आप..आपका कोई सानी नहीं है..

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  26. दिन निकला नही, पर साल बदल गया,
    तेरे जाग जाने तक मैंने इन्तजार किया !
    सुंदर गज़ल

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  27. दिन निकला नहीं , पर साल बदल गया ,

    तेरे जाग जाने तक मैंने इंतजार किया ।

    बहुत ही उम्दा सर । मैंने अपने दोनों हाथ अपने गाल पर रख दिए ।

    अब इससे ज्यादा नहीं बयां कर सकता ।

    जवाब देंहटाएं
  28. करवटे बदलता रहा, रात भर आहों में,
    नींद के आने तक मैंने इन्तजार किया !

    वाह,वाह..बहुत खूब । मेरे नए पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है।

    जवाब देंहटाएं
  29. बहुत सुन्दर और सार्थक सृजन , बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  30. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.... इंतज़ार की बहुत खूब व्यख्या करती हुई रचना....
    धन्यवाद.. इस सुन्दर रचना के लिए....
    मेरी नयी पोस्ट:- जानिए पिक्सल क्या होता है?

    जवाब देंहटाएं
  31. बहुत सुन्दर और लयबद्ध रचना |
    आशा

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  32. दिन निकला नही, पर साल बदल गया,
    तेरे जाग जाने तक मैंने इन्तजार किया !

    बहुत सुंदर । मेरे पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है। धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  33. इंतज़ार की बेकरारी को बहुत सुन्दर शब्द दिए है... बहुत सुन्दर

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  34. कहते हैं इंतज़ार का फल मीठा होता है।

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  35. है कौन ऐसा कमबख़्त,जिसने किया परेशां
    हद कर दी आपने भी,कि इंतज़ार किया!!

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  36. ई ससुरा इन्तजार बड़ी बेकार चीज़ है ............सबको करना पड़ता है ! मगर इन्तजार में कविता बड़ी शानदार लिखी गयी है . सादर बधाई !

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  37. बहुत सुन्दर इन्तजार और तड़प ...!
    आभार !

    जवाब देंहटाएं
  38. आपकी रचनाएँ बहुत पसंद आयी

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