गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

आज के नेता...


आज के नेता...

आज के नेता
एक अरब लोगों को पागल बना रहे है
अलग अलग पार्टी बनाकर
हमे आपस में लडवाकर
अपना मतलब निकाल रहे है,
कर रहे है बड़े बड़े घोटाले
रिश्तेदार और अपनों को टिकट,
दिलाकर हो जाते है मतवाले
भ्रष्टाचार कर भर रहे है बैंक के खाते सारे
आयी जांच की बात तो
हक दे दिया पत्नी को डर के मारे
एक नौजवान बेचारा पढ़-लिखकर
बड़ी मशक्कत एक छोटी सी नौकरी पाता है
पहुचते ही साठ साल उमर में,
उसे सेवा निवृत्त कर दिया जाता है
एक नेता जी उमर हो गई ९८ की
टाँगे डगमगाने लगी सांसे थमने लगी
हमने पूछा नेताजी से क्या अब भी मंत्री बनोगे
मेरी ओर देखे और् बोले,
अरे भाई हाई कमान की कृपा से
मेरा नम्बर आ गया है,
उनकी बात भी तो रखनी है
अभी ९८ का हुआ हूँ सेंचुरी भी तो पूरी करनी है
नेताओं की साठ के बाद आती है जवानी
मरने के बाद ही सेवा निवृत्त होती है
और खतम होती है कहानी,
----------------------------------
DHEERENDRA,

54 टिप्‍पणियां:

  1. नेता पक्का नेत का, नेति बना के मन्त्र ।

    तनी रहे नेती सदा, रहे टना-टन तन्त्र ।।


    नेत = संकल्प / निश्चय

    नेति = इति न

    नेती = मथानी को लपेटकर खींचने वाली रस्सी

    dineshkidillagi.blogspot.com

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  2. नेताओं की तो जितनी लिखो उतनी थोड़ी ..
    kalamdaan .blogspot.in

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  3. नेता...हमेशा है लेता,नहीं कुछ देता !

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  4. Fine and fair expression having justification of political scenario. We have lost lost everything except corruption ,inhumanity & bifurcation .Thanks a lot for post.

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  5. नेता का किसी से कोई नाता नहीं होता..., स्वार्थ के सिवा!
    नेता और नाता में बस एक मात्रा का अंतर है...
    लेकिन ये अंतर कितना बड़ा है, यह आपकी रचना कितनी सुन्दरता से स्पष्ट कर रही है!

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  6. मुझे तो कविता के साथ आपकी तस्वीर भी अच्छी लगी, बिलकुल अमिताभ बच्चन की तरह.. और अब नेताओं के बारे में कुछ भी नहीं लिखूंगा क्योंकि आपकी प्रोफाइल देख ली है.. :D

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  7. अपने रिश्तेदारों को टिकट दिला रहे हैं साले.....
    धीरेन्द्र जी, अपने को यह बात जंच गई।

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  8. सही लिखा है आपने। आपको शुभकामनाएँ।

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  9. कभी होते थे नेता जनता के सेवक
    अब हो गए हैं बस धन के भक्षक

    सटीक व्यंग

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  10. मरने के बाद ही सेवा निवृति होती है
    और खतम होती है कहानी,

    ...आज के नेता का यही कड़वा सच जनता को झेलना पड़ रहा है!...सटीक व्यंग्य!

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  11. वाह क्या बात है ...आज के नेता जानते हैं एक अरब लोगों को पागल बनाना ...

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  12. इन नेताओं को नकारना हमारे हाथ में है, पर हम झुंझला कर स्वीकारते जा रहे हैं

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  13. नेताओं पर कितना करारा व्यंग ... ९८ पर भी अभी कुर्सी का मोह ..ओह

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  14. पद कोई भी हो मन के खाली पन को थोडा भर देता है
    शायद इसीलिए ...

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  15. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  16. आज के नेता ऐसे ही इच हैं .
    बड़ी मशक्त से एक छोटी सी नौकरी पाता है
    पहुचते ही साठ साल उमर में,
    उसे सेवा निवृति कर दिया जाता है
    एक नेता जी उमर हो गई ९८ की
    'मशक्कत',और सेवा निवृत्त कर लें .अच्छी रचना में चार चाँद लग जायेंगें .'साले 'जैसे सम्बन्ध बोधक शब्दों से बचें .भगवान् न करे हमारे साले ऐसे हों ,नेताओं जैसे हों ..

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    1. बीरुभाई जी,
      आपके बताये अनुसार रचना में सुधार कर दिया है,नेक सलाह के लिए बहुत२ आभार....

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  17. हम अपने अधिकारों का सही उपयोग नही ना करते ।

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  18. मरने के बाद ही सेवा निवृति होती है
    और खतम होती है कहानी
    अगर यही हाल रहा तो हमारा देश एक बार फिर गुलाम जरुर होगा...

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  19. अलग अलग पार्टी बनाकर
    हमे आपस में लडवाकर
    अपना मतलब निकाल रहे है,....
    क्या खूब कही है.
    सादर...

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  20. बाप परेशान बेटा से.
    देश परेशान नेता से ।

    धीरेंद्र भाई,
    अब क्या लिखू. इन दो शब्दों का नाम सुनकर ही मन घृणा से भर जाता है । आज कल आप बहुत अच्छी कविताएं लिख रहे हैं । धन्यवाद ।

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  21. नेता हो तो सुभाष चन्द्र बोस जैसा.
    नेता बन नेताजी का नाम बदनाम न कीजियेगा
    बस यही गुजारिश है
    सुन्दर व्यंग्य के लिए आभार,धीरेन्द्र जी.

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  22. सुन्दर व्यंग वैसे नेता का उल्टा ताने होता है ! सार्थक दृष्टिकोण से भरी कविता ! बधाई

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  23. Dhirendra ji I am your follower since long back.pl.check the list board. Thanks sir .

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  24. मौसम और समय के अनुकूल पोस्ट और चित्र भी बहत अच्छा लगाय है आपने!

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  25. बहुत अच्छा व्यंग..आज कल नेताओं का मौसम चल रहा है..
    पता नहीं कितने नमो से ये बिखरे पड़े हैं कोई डागी है तो कोई कुटिल..सब लुटने की बारी की प्रतीक्षा में

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  26. कविता का भाव बहुत ही अच्छा लगा । मेरे पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  27. is ke jimmedar hm hi to hain
    bechare ntaon ko kyon koste ho
    jo jnta ne kiya vhi to bhogte ho
    is liye utho aur jbab do
    aise netaon ko soochi se nikal do

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  28. बहुत अच्छा व्यंग., पोस्ट करने के लिए आभार

    देरी से आने के लिये क्षमा

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  29. नेताओं पर अच्छा करारा व्यंग......

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  30. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा मंगलवार (06-08-2013) के "हकीकत से सामना" (मंगवारीय चर्चा-अंकः1329) पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  31. करारा व्यंग्य . आदरणीय धीरेंद्र जी, शानदार रचना हेतु बधाई............

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आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,